प्रेरणादायक हिंदी कहानी संग्रह कथा-कहानी ज्ञानवर्धक किस्से | Hindi Kahani or Story Collection
हिंदी कहानियाँ एक ऐसी विधा जो जीवन को, परिस्थितियों को अपने में लेकर उलझी हुई समझ को, सुलझा देती हैं. हिंदी कहानी हमारे व्यक्तित्व को एक दर्पण की भांति हमारे सामने प्रेषित करती हैं जिनसे हमें अपने कर्मो का बोध होता हैं. माना कि कहानियाँ काल्पनिक होती हैं पर कल्पना परिस्थिती के द्वारा ही निर्मित होती हैं. पाठको को लुभाने एवं बांधे रखने के लिए कई बार भावों की अतिश्योक्ति की जाती हैं लेकिन अंत सदैव व्यवहारिक होता हैं, यथार्थता से परिपूर्ण होता हैं.
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टीचर और स्टूडेंट का सच्चा प्यार
PART:- 1
☆ अमरेंद्र एक बहुत ही समझदार और सुंदर लड़का था। और वह अब कॉलेज में पढ़ता था। उसके गाँव गंगापुर से कॉलेज तक का रास्ता कोई चालीस किलोमीटर का था, और बसे भी गिनी चुनी ही थी। अमरेंद्र बी. ए. द्वितीय वर्ष का छात्र, हर सुबह इसी समय गुजरता था। पढ़ने की लग्न ऐसी थी कि मिलों का सफर भी उसके हौसले को डिगा नहीं पाता था। उसका सपना था, पढ़- लिखकर अपने गाँव की तस्वीर बदलना।
☆ कॉलेज मे हिंदी साहित्य की अध्यापिका थी कुसुम मैडम, उनकी खूबसूरती के पर्चे पूरे कॉलेज मे थे, लेकिन उनकी आंखों में एक अनकही उदासी तैरती रहती थी, जिसे कम ही लोग पढ़ पाते थे । अमरेंद्र उनमें से एक था। वह कुसुम मैडम की कक्षा नही छोड़ता था। उनके पढ़ाने का अंदाज, उनकी आवाज की मिठास, और हिंदी के प्रति उनका प्रेम , अमरेंद्र को मोह लेता था। वह चुपचाप उन्हें देखता, उनके हर शब्द को अपने मन मे उतरता।
☆ धीरे - धीरे कुसुम मैडम भी अमरेंद्र को नोटिस करने लगी। उसकी आँखों में ज्ञान की प्यास, उसकी विनम्रता और उसकी लगन उन्हे प्रभावित करती थी। कभी कभी कक्षा के बाद अमरेंद्र उनसे कुछ सवाल पूछने रुक जाता था, और कुसुम भी बड़े धैर्य से उसके सवालों के जवाब देती। इन छोटी-छोटी मुलाकातों मे कब एक अनकहा सा रिश्ता पनपने लगा, दोनों को ही पता नही चला।
☆ कुसुम की जिंदगी बाहर से जितनी सुंदर दिखती थी, अंदर से उतनी ही खोखली थी। उसका पति सोनू, एक नंबर का शराबी और जुआरी था। रोज रात को शराब पीकर घर आता और कुसुम पर हाथ उठाता। कुसुम की सिसकियाँ बंद दरवाजों के पिछे ही घुटकर रह जाती थी। उसने कई बार यह सब छोड़कर जाने की सोची, पर समाज का डर और अकेलेपन का खौफ उसे रोक लेता।
☆ एक दिन कॉलेज मे मुशयरा था । अमरेंद्र ने एक दिन एक कविता पढ़ी, जिसका शीर्षक था, अधूरी चाहत । कविता मे प्रेम, विरह और उम्मीद का ऐसा मार्मिक चित्रण था कि कुसुम जी की आंखे भर आई। उस कविता मे उन्हे अपनी ही जिंदगी की झलक दिखी। कार्यक्रम के बाद उन्होंने अमरेंद्र को बुलाया और उसकी कविता की बहुत तारीफ की। उस दिन पहली बार उनकी आंखों मे अमरेंद्र के लिए प्रशंसा के साथ–साथ एक अजीब सी अपनापन भी था।
☆ बरसात का मौसम शुरू हो चुका था। एक शाम, कॉलेज से लौटते वक्त आसमान मे काले बादल एसे घिरे कि लगा जैसे रात हो गई हो। अमरेंद्र बस स्पॉट ओर खड़ा था, लेकिन दूर - दूर तक बस का कोई निशान नही था। अचानक मुसलाधर बारिश शुरू हो गई। वह पास ही एक पुरानी, टूटी - फूटी झोपड़ी मे सर छुपाने के लिए भागा।
☆ कुछ देर बाद, उसी झोपड़ी में भीगती हुई कुसुम जी भी आ पहुँची। उनकी कार रास्ते मे खराब हो गई थी और मोबाइल भी डिस्चार्ज था। अमित उन्हें देखकर चौंक गया। कुसुम जी भी अमरेंद्र को वहाँ देखकर हैरान थी, पर इस अनजान जगह पर एक परिचित चेहरे को देखकर उन्हे थोड़ी राहत मिली।
☆ झोपड़ी बहुत छोटी सी थी और बाहर इतनी तेज की बारिश कि रकने का नाम नही ले रही थी, ठंडी हवा के झोंके बदन मे सिरहन पैदा कर रहे थे। दोनों एक दम चुप चाप बैठे थे बस बारिश की आवाज ही उनके बीच थी। धीरे - धीरे कुसुम जी ने अपनी जिंदगी की कड़वी सच्चाई अमरेंद्र को बतानी शुरू की। अपने पति के अत्याचार, अपने अधूरे सपने, अपनी घुटन। अमरेंद्र सब सुनता रहा, उसकी आँखों मे कुसुम के लिए सहानुभूति और गहरा दर्द था।
☆ कुसुम जी बोलते - बोलते रो पड़ी। अमरेंद्र ने हिम्मत करके उनका हाथ थामा। उस स्पर्श से सहानुभूति दी। अपनापन था। ना जाने कब वे दोनों एक दूसरे के इतने करीब आ गए। कि उन्होंने दुनिया और जहाँ कि सुध ही नही थी। उस तूफानी बरसात कि रात मे, उस छोटी सी झोपड़ी मे दो टूटे हुए दिल एक दूसरे के सहारे जुड़ गए। समाज की नजर मे यह गलत था, पर उस पल उनके लिए वही सच था, और वही सुकून बन गया था। वह प्यार का संबंध केवल शारीरिक नही, बल्कि दो आत्माओ का मिलन था जो दुनिया के रिवाजों से परे, एक दूसरे मे अपना अस्तित्व ढूंढने लगा था।
PART :- 2
☆ उस रात झोपड़ी मे समय बिताने के बाद कुसुम और अमरेंद्र का रिश्ता और भी गहरा और मजबूत हो गया। वे दोनों छुप–छुप कर मिलने लगे। कॉलेज की लाइब्रेरी, कैंटीन का कोना, या शहर से दूर कोई शांत जगह उनकी मुलाकातों का ठिकाना बन गई। अमरेंद्र के प्यार ने जैसे कुसुम को एक नया जीवन दे दिया। उसकी आँखों की उदासी अब चमक में बदलने लगी थी। वह फिर हंसने और बोलने, जीने लगी थी।
☆ लेकिन यह खुशियां ज्यादा दिन तक टिक नही सकी। उनके प्रेम की भनक कुसुम के पति सोनू को लग गई । एक दिन जब अमरेंद्र कॉलेज से लौट रहा था तो, सोनू ने अपने गुंडों के साथ मिल कर अमरेंद्र को बहुत बुरी तरह से पिटवाया । अमरेंद्र वही बेहोश खून से लत पत सड़क के किनारे पड़ा मिला।
☆ जब कुसुम को यह खबर मिली तो, वह दौड़ी - दौड़ी अस्पताल पहुंची। अमरेंद्र की वो दुर्दशा देख कर वह टूट गई थी। उसके लगातार आंसू निकल रहे थे। उसी समय कुसुम ने तय कर लिया की वह सोनू के साथ एक मिनट भी नही रहेगी। वह उस नरक भरी जिंदगी से आजाद होकर रहेगी। अमरेंद्र के लिए और अपने प्यार के लिए।
☆ अमरेंद्र के ठीक होते ही कुसुम ने सोनू का घर छोड़ दिया और वहाँ से चली गई। उसने अपने कुछ जरूरी समान और गहने भी लिए और फिर अमरेंद्र के पास आ गई। समाज ने उँगलियाँ उठाई और बहुत सी बातें बनाई, पर कुसुम को किसी से कोई फरक नही पड़ा। उसका प्यार अमरेंद्र के लिए सच्चा था और वह अमरेंद्र को किसी भी कीमत में खोना नही चाहती थी।
☆ दोनों ने फैसला किया कि वह इस शहर और इन यादों से कही दूर चले जाएंगे। एक दिन सुबह - सुबह वह दोनों पास के एक दुर्गा मंदिर मे पहुंचे। वहाँ उन दोनों ने माता रानी को साक्षी मान कर एक दूसरे को पति और पत्नी के रूप मे स्वीकार किया। ना को बैंड बाजा था, ना कोई बराती। बस दो सच्चे दिल और भगवान का आशीर्वाद ।
☆ शादी के बाद वे दोनों दूर - दराज के एक गाँव मे चले गए, जो एक बड़े से झरने के पास बसा था। गाव का नाम था, गंगापुर। वहाँ की हवा मे ताजगी थी। पानी मे संगीत था और लोगों के दिलों मे सादगी थी। अमरेंद्र ने गाँव के बच्चों को पढ़ाना शुरू कर दिया और कुसुम घर संभालती। उसने छोटी सी जगह पर सब्जियां उगानी शुरू कर दी।
☆ उनकी दुनिया बहुत छोटी थी पर बहुत सारी खुशियां थी। सुबह झरने की मधुर आवाज से उनकी आंखे खुलती थी । अमरेंद्र बच्चों को पढ़ाने चला जाता और कुसुम घर मे लग जाती। दोपहर मे अमरेंद्र लौटता तो दोनों साथ मे खाना खाते, ढेर सारी बातें करते, हँसते। शाम को वह दोनों झरने के किनारे टहलने जाते थे, डूबते हुए सुरज को देखते और अपने आने वाले कल के सपनों को बुनते।
☆ गाँव वालों ने उन्हें धीरे धीरे अपना लिया था। अमित को पढ़ाने का तरीका और कुसुम का मिलनसार स्वभाव सभी को पसंद था। उन्हे अब किसी बात का डर नही था। किसी की को परवाह नही था। उनका प्यार ही उनकी ताकत थी, उनका विश्वास था।
☆ पर कभी कभी प्रिया को सोनू का अत्याचार और लोगों के ताने बहुत याद आते थे और वह बहुत उदास हो जाति पर अमरेंद्र का प्यार उन सभी बुरी बातों और यादों पर मरहम लगा देता। अमरेंद्र भी खुद को बहुत भाग्यशाली इंसान समझता था क्योंकि, उसे कुसुम जैसी पत्नी मिली। वह जानता था की कुसुम ने उसके लिए कितना कुछ सहा है, कितना कुछ छोड़ा है।
☆ उनकी झोपड़ी छोटी थी, पर उसमें प्यार और सुकून की कोई कमी नही थी। झरने का संगीत उनके जीवन का संगीत बनगया था। वे एक दूसरे के बिना अब अधूरे से थे, और साथ में तो एक पूरी कि पुरी कायनात थे। उनका प्यार उस झरने की तरह ही निर्मल, पवित्र और अविरल बहता रहा, जिसने समाज की बनाई सभी दीवारों को तोड़कर अपनी एक खूबसूरत दुनिया बसा ली थी। यह कहनी एक अटूट प्रेम और विश्वास, एक नई शुरुआत कि दास्ता जो यह बताती है कि सच्चा प्यार हर मुश्किल को पार कर अपनी मंजिल पा ही लेता है।

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