जितेन्द्र और शोभा के बीच कुछ तो है || jitendra or shobha ke bich kuchh to hai ||Hindi Romantic Story || Part-1 Add

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प्रेरणादायक हिंदी कहानी संग्रह कथा-कहानी ज्ञानवर्धक किस्से | Hindi Kahani or Story Collection

हिंदी कहानियाँ एक ऐसी विधा जो जीवन को, परिस्थितियों को अपने में लेकर उलझी हुई समझ को, सुलझा देती हैं. हिंदी कहानी हमारे व्यक्तित्व को एक दर्पण की भांति हमारे सामने प्रेषित करती हैं जिनसे हमें अपने कर्मो का बोध होता हैं. माना कि कहानियाँ काल्पनिक होती हैं पर कल्पना परिस्थिती के द्वारा ही निर्मित होती हैं. पाठको को लुभाने एवं बांधे रखने के लिए कई बार भावों की अतिश्योक्ति की जाती हैं लेकिन अंत सदैव व्यवहारिक होता हैं, यथार्थता से परिपूर्ण होता हैं.

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Hello Everyone 

 ये blog आपके लिए ही है, ये ब्लॉग Study के उदेश्य से बनाया गया है 
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PART :- 1
☆ यह कहानी शुरू होती है 2020 मे। तब जितेंद्र 24 साल की उम्र मे दिल्ली मे एक प्राइवेट कंपनी मे जॉब करता था। लेकिन उनका असली घर बिहार के औरंगाबाद जिले की शिवनगर मे था। और वह जॉब के सिलसिले मे दिल्ली की गुरुगाँव मे अकेले ही रहता था।

☆ जितेंद्र उनके माता - पिता की इकलौती संतान था इसलिए वह घर का बहुत ही लाड़ला था। जितेंद्र का ऑफिस हर हफ्ते की रविवार को छुट्टी रहता था और जितेंद्र को उस दिन छुट्टी मिलने के कारण वह हर रविवार की शाम के वक्त उनके घर से थोड़ा दूर एक पार्क में घूमने के लिए जाता था।

☆ जितेंद्र ने एक दिन रविवार को पार्क में घूमने के लिए गया और वह थोड़ा पार्क मे योग व्यायाम किया और थोड़ा थकान महसूस होने पर पार्क की एक बेंच में जाकर बैठ गया।

☆ जितेंद्र बैठा ही था तभी उसने देखा की उसके पास के बेंच पर एक औरत के साथ एक बच्ची बैठी हुई थी, और जितेंद्र ने देखा की वह औरत थोड़ा उदास थी। जितेंद्र ने उसे नजर अंदाज करते हुए पार्क के चारों तरफ नजर घूमा कर देखा। कुछ ही देर बाद जितेंद्र की नजर उस बेंच पर दुबारा पड़ी, और वह औरत और बच्ची दोनों ही वहां नही थी।

☆ थोड़ी देर बाद शाम का अंधेरा भी हो चुका था तभी जितेंद्र ने उस बेंच पर धुंधला धुंधला सा नजारे से देखा तो उसे लाल रंग की कोई चीज पड़ी हुई थी। क्योंकि पार्क मे लाइट ना होने की वजह से उसेे कुछ साफ नजर नही आ रहा था।

☆ जितेंद्र जब उठ कर उस बेंच पर गया तो, देखा की किसी लड़की का लाल रंग का एक बैग पड़ा हुआ था। जितेंद्र को लगा शायद ये बैग उसी बच्ची का होगा जो उस औरत के साथ बैठी हुई थी। शायद इस बैग को वह जल्द बाजी के कारण भूल गई होगी।

☆ जितेंद्र ने उस बैग को पार्क मे ना खोल कर उसे अपने घर ले कर चला गया जितेंद्र ने सोचा क्या पता उस औरत का कोई फोन नंबर या कोई घर का पता इस बैग में मिल जाए। यह सोच कर जब जितेन्द्र ने उस बैग को खोल कर देखा तो उस बैग मे कुछ पैसे और डॉक्टर की पर्ची मिली। ना उस बैग में कोई नंबर था ना ही किसी घर का पता ।

☆ जितेंद्र ने जब उस पर्ची को खोल कर देखा तो उस पर्ची मे डॉक्टर का पता था, और उस डॉक्टर का चेम्बर जितेंद्र के घर के आधे घंटेे की दूरी पर था। अगली सुबह जब वह ऑफिस जानेे लगा तो उसनेे ऑफिस से 2 घंटे की छुट्टी लेकर उस डॉक्टर के पास गया। डॉक्टर से पूछने के बाद पता चला की, उस औरत का नाम शोभा और उसकी पाँच साल की बच्ची जिसका नाम अनामिका है।

☆ और उनके फ्लैट के पास के सोसाइटी मे रहती है। जितेंद्र ने देर ना करते हुए उस सोसाइटी मे पहुँच गया, और जब उसनेे दरवाजे की घंटी बजाई तो शोभा ने दरवाजा खोला और पूछा की, आप कौन ?

☆ जितेंद्र ने वह बैग देते हुए कहा की, जी मैडम मैं जितेंद्र हूँ और शायद से यह बैग आप कल शाम के समय पार्क मे भूल से छोड़ कर चली आई। मुझे बैग मे डॉक्टर की एक पर्ची मिली तो डॉक्टर से मैंनेे आपका पता पूछा तब मैं आपके घर तक पहुँचा।

☆ शोभा ने कहा, हाँ, हाँ ये बैग मेरा ही है, जो मुझसेे खो गया था। और कल से ही इस बैग को लेकर मै बहुत परेशान हुई हूँ। ये सब बताते हुए जितेंद्र को घर के अंदर बुलाया और बैग को लौटाने के लिए शोभा ने मयंक को धन्यवाद कहा।

☆ जितेंद्र ने कहा जी कोई बात नहींं मै अब चलता हूँ। तभी शोभा ने बोला की थोड़ी देर ओर रुक जाइए, जितेंद्र ने कहा की आज नही किसी ओर दिन आ जाऊँगा । शोभा ने कहा आपने हमारी इतनी मदद की।

☆ जितेंद्र, शोभा की बात को टाल नही पाया। और वह अंदर जाकर रूम मे सोफ़ेे पर बैठ गया। शोभा ने कहा आप क्या लेंगे, चाय या कॉफी ?

☆ जितेंद्र ने कहा सिर्फ एक ग्लास पानी पीला दीजिए। शोभा ने जितेंद्र को एक ग्लास पानी दिया और पानी पी कर जितेंद्र वहाँ से चला आया। और वह सीधेे अपने ऑफिस के लिये निकल गया।
PART :- 2
☆ और एक हफ्ते के बाद जितेंद्र ने रविवार को उसी पार्क में घूमनेे के लिए गया और इत्तेफाक से शोभा उसे वही पार्क मे मिल गई। शोभा ने जितेंद्र को देख कर उनसे मिलने के लिए आयी।

☆और कहा, पहचान रहे हो मुझे, मै शोभा हूँ। जितेंद्र ने कहा अरे हाँ मैडम, आप कैसी हो और आपकी बेटी कैसी है?

☆ शोभा ने कहा हाँ मैं ठीक हुँ और मेरी बेटी भी ठीक है। दरसल आज में अपनी बेटी को पड़ोसी के घर मे छोड़ आई, और डॉक्टर से मिलने के लिए चली गई । जितेंद्र ने कहा, अच्छा और फिर दोनों मे बहुत बाते सारी बाते हुई।

☆ वह दोनों बहुत जल्द ही एक - दूसरे के अच्छे दोस्त बन गए । जितेंद्र ने शोभा से कहा की, अगर आप बुरा ना मानो तो एक बात पूछ ? शोभा ने कहा की हाँ, पूछो,,,,

☆ जितेंद्र ने कहा, आप हर रविवार को डॉक्टर के पास जाते हो, क्या बात है ? कोई बीमारी है क्या ?

☆ कल्पना ने कहा, सब कुछ बताऊँगी अगर आपको वक्त मिले तो घर आ जाना दोनों मिलकर बहुत बाते करेंगे। और अभी मुझे जाना है क्योंकि अनामिका पड़ोसी के पास अकेली है। ये कहते हुए शोभा वहाँ से चली गई।

☆ जितेंद्र कुछ दिन बाद ही शोभा के घर में गया। शोभा ने घर का दरवाजा खोला और जितेंद्र को बैठनेे को कहा। वह दोनों बाते करते करते जब एक दूसरे के बारे मे जान ने के लिए पूछा तो पहले जितेंद्र ने अपने बारे मे सारी बाते बताई।

☆ जितेंद्र की सारी बात सुननेे के बाद शोभा ने कहा, इस फ्लैट मे, मै और मेरी बेटी अनामिका दोनों रहती हूँ और मै एक ऑफिस मे जॉब करती हूँ। मेरे पति 2 साल पहले एक कर एक्सीडेंट मे मौत हो गई। और मेरे ससुराल वाले मुझे ही मेरे पति के मौत के जिम्मेदार मानते हैं। इसलिए वह लोग मुझेे अपना नहीं रहे। तब से हम दोनों यहाँ अकेले ही रहते है।

☆ अब तो मेरे खुद के माता-पिता भी मुझसेे किसी भी तरह का संपर्क नही रखते। शोभा की दुःख भरी कहानी सुन कर जितेंद्र की आँखों में आंसू आ गए। तभी जितेंद्र ने कहा, डॉक्टर ?

☆ कल्पना ने कहा, मैं अपनी बेटी अनामिका के लिए डॉक्टर के पास जाती हूँ क्योंकि अनामिका के दिल में एक छोटा सा छेद है और डॉक्टर ने कहा की 6 महिना के अंदर ऑपरेशन करना पड़ेगा। नही तो?

☆ और मेरे पास उतना पैसा भी नही है। जिससे मै अभी अनामिका का ऑपरेशन करवा सकूँ । मै अब क्या करू मुझे कुछ समझ नही आ रहा। इसलिए मैं कुछ दिनों से परेशान हूँ। क्योंकि उसे अकेले छोड़ कर ऑफिस जाने में डर लगता है। इसलिए कुछ दिन से मे ऑफिस से छुट्टी लेकर घर ही रह रही हूँ, ताकि अनामिका का ठीक से देखभाल कर सकूँ ।

☆ अमरेंद्र ने कहा, अनामिका के ऑपरेशन के लिए डॉक्टर को कितने पैसे चाहिए।

☆ शोभा ने कहा, छोड़ो वह सब बातें मैं कुछ ना कुछ बन्दोबस कर ही लूँगी। ये सब कहने के बाद शोभा ने जितेंद्र को चाय दिया। और जितेंद्र ने चाय पीकर शोभा के घर से चला गया और कहा बाद में मिलता हूँ।

☆ अगले ही रविवार को जितेंद्र ने डॉक्टर के पास जाकर अनामिका के बारे मे बात की तो डॉक्टर ने बताया की, अनामिका के ऑपरेशन मे डेढ़ लाख की खर्चा आएगा। और जितना जल्दी ऑपरेशन करेगा अनामिका के लिए उतना ही अच्छा है।
PART:- 3 
☆ जितेंद्र ने कहा, डॉक्टर आप अगले महीने ही अनामिका का ऑपरेशन की तैयारी कर लीजिए मै अगले हफ्ते मे आपके पैसे जमा कर दूँगा। ये कहते हुए जितेंद्र ने अगले हफ्ते मे शोभा को बिना बताए पैसा जमा कर दिया।

 शोभा जब डॉक्टर के पास गई तो डॉक्टर ने शोभा को जितेंद्र के बारे मे सब कुछ बता दिया।

☆ शोभा जितेंद्र को तुरंत फोन किया और अपने घर मे बुलाया। जितेंद्र जब शाम को शोभा के घर में गया तो, शोभा ने कहा, तुमने पैसा क्यों दिया ? दया दिखा रहे हो मुझ पर ?

☆ जितेंद्र ने कहा, नही शोभा मैं तुम्हें दया नही दिखा रहा हूँ, एक अच्छे दोस्त के नाते मै तुम्हें अनामिका की इलाज के लिए थोड़ी मदद कर रहा हूँ और अनामिका भी तो मेरी बेटी जैसी है?

☆ शोभा ने कहा, बेटी जैसी मतलब ? जितेंद्र ने कहा, मै तुमसे एक सच बात कहना चाहता हूँ, बुरा मत मानना अगर तुम्हें मेरी बात पसंद नही आई तो मुझे माफ कर देना लेकिन प्लीस बुरा मत मानना ।

☆ देखो शोभा मैं तुमसे कुछ नही छिपाऊँगा । तुम इतनी खूबसूरत हो की मुझे तुमसे बहुत प्यार हो गया शोभा मैं तुम्हें बहुत प्यार करता हूँ और मै तुमसे शादी करना चाहता हूँ। शोभा के पति के जाने के बाद वह भी बहुत ही अकेली हो गई।

☆ इसलिए उसे भी एक अच्छा और सच्चे मन के हमसफ़र की जरूरत थी इसलिए शोभा ने जितेंद्र की प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया। और इस रिश्ते से वह दोनों बहुत ज्यादा खुश थे और उसकी बेटी अनामिका भी खुश थी।

☆ उन दोनों ने फैसला किया की, अनामिका के ऑपरेशन के बाद ही शादी करेंगे। 1 महीने के बाद अनामिका का ऑपरेशन बहुत ही अच्छे से सफलता के साथ हो गया और उसके बाद दोनों ने कोर्ट में जाकर शादी कर लिया।

☆ शुरुआती मे जितेंद्र के माता- पिता शादी से खुश बिल्कुल भी नही थे, लेकिन धीरे धीरे एक साल बाद उन्होंने उन दोनों के साथ शोभा की बेटी अनामिका को भी अपना लिया। और जितेंद्र और शोभा अनामिका के साथ अपनी जिंदगी में बहुत खुश थे।

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