मुकेश और सुगंधा की प्रेम कहानी | Mukesh or Shugandha ki prem kahani | hindi kahani

Razz hariom
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प्रेरणादायक हिंदी कहानी संग्रह कथा-कहानी ज्ञानवर्धक किस्से | Hindi Kahani or Story Collection

हिंदी कहानियाँ एक ऐसी विधा जो जीवन को, परिस्थितियों को अपने में लेकर उलझी हुई समझ को, सुलझा देती हैं. हिंदी कहानी हमारे व्यक्तित्व को एक दर्पण की भांति हमारे सामने प्रेषित करती हैं जिनसे हमें अपने कर्मो का बोध होता हैं. माना कि कहानियाँ काल्पनिक होती हैं पर कल्पना परिस्थिती के द्वारा ही निर्मित होती हैं. पाठको को लुभाने एवं बांधे रखने के लिए कई बार भावों की अतिश्योक्ति की जाती हैं लेकिन अंत सदैव व्यवहारिक होता हैं, यथार्थता से परिपूर्ण होता हैं.

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 ये blog आपके लिए ही है, ये ब्लॉग Study के उदेश्य से बनाया गया है 
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☆ गाँव का नाम था शालिनपूर, जहाँ कच्चे रास्तों पर बैलगाडियो की चरमराहट और चौपाल पर शाम को चाय की चुस्कियों के साथ चलती थी गपे।

☆ वहीँ इस गाँव मे रहते थे मुकेश और सुगंधा - एक ऐसी जोड़ी जो बचपन से साथ खेली थी, साथ बड़ी हुई थी, और अनजाने मे एक दूसरे का हिस्सा बन चुकी थी।

☆ मुकेश के पिता किसान थे और माँ घर संभालती थी। सुगंधा का परिवार थोड़ा सम्पन्न था, उसके पिताजी स्कूल मे मास्टर थे।

☆ मुकेश हर शाम अपने खेत से लौटते समय जब सुगंधा को चौपाल पर बैठे देखता था, तो उसके थके चेहरे पर मुस्कान बिखर जाती थी।

बचपन का साथ

☆  सुगंधा और मुकेश बचपन में एक ही पाठशाला मे पढ़ते थे। दोनों साथ में कुए से पानी भरते थे, आम के पेड़ पर चढ़ते थे, और मंदिर मे सावन के झूले झूलते ।

☆ गाँव मे सभी जानते थे कि इन दोनों के बीच कुछ तो खास था। लेकिन जैसे-जैसे उम्र बढ़ी, वैसे - वैसे समाज की दिवारे उनके बीच ऊँची होने लगी।

☆ सुगंधा के पिता ने उसे पढ़ने के लिए शहर भेज दिया। लड़की है, समझदार बनानी है, उन्होंने कहा।

☆ और मुकेश ? वह खेतों और चैपालों मे ही रह गया ।

दूरियाँ और चौपियाँ

☆ शहर जाने के बाद सुगंधा ने पत्रों के जरिए मुकेश से संवाद बनाए रखा।

☆ हर महीने एक चिट्ठी आती, जिसमें शहर की हलचल, नए अनुभव और मुकेश के लिए थोड़ी सी चिंता होती।

☆ मुकेश उन चिट्ठियों को अपने तकिये के नीचे रखता - जैसे कोई खजाना हो।

☆ फिर एक दिन सुगंधा कि चिट्ठिया आनी बंद हो गई।

☆ मुकेश बेचैन रहने लगा। वह खेतों मे काम करता, पर मन वही अटका रहता था - कही कुछ गलत तो नही हुआ।

☆ लेकिन वह सीधे कुछ पूछ भी नही सकता था। एक महीने, फिर दो महीने, और फिर पूरा साल निकल गया।

पुनर्मिलन

☆ फिर एक दिन सुगंधा अचानक से गाँव लौटी।

☆ उसके चेहरे पर वही मासूमियत थी, लेकिन आँखों मे एक अजीब सा खालीपन । मुकेश ने उसे चौपाल पर देखा, और दोनों की नजरे मिली।

☆ बिना कुछ कहे बहुत कुछ कह गया वो पल।

☆ रात को मंदिर के पिछे नीम के पेड़ के नीचे वही दोनों फिर से मिले।

☆ वहाँ जहा कभी आम के आचार के लिए झगड़ा हुआ था।

☆ मुकेश ने उससे पुछा की तुमने इतने दिन तक चिट्टियाँ क्यूँ नही लिखी ?

☆ सुगंधा के आँखों मे आँशु थे, पापा ने रिश्ता तय कर दिया था। शहर में एक लड़का अफसर है।

☆ लेकिन मैं नही चाहती थी। मैंने मना किया .... बहुत झगड़ा हुआ ... फिर उन्होंने मुझसे बात करना बंद कर दिया। अब मैं लौट आई हूँ।

☆ मुकेश ने कुछ नही कहा। बस उसकी ओर देखा - जैसे कह रहा हो, मैं तो यही था ..... तुम्हारे इंतजार मे।

संघर्ष

☆ गाँव मे सुगंधा के लौटने की खबर फैल गई । लोग बाते करने लगे - अब क्या होगा ?

☆ मास्टर जी की बेटी और किसान का बेटा ? इज्जत का सवाल है।

☆ सुगंधा के पिता को मंजूर नही था। उन्होंने घर से निकलने पर रोक लगा दी।

☆ मुकेश के माता - पिता भी बहुत डरे हुए थे - बेटा, ये गाँव है, यहाँँ प्यार की नही, खानदान की चलती है।

☆ लेकिन मुकेश ने फैसला कर लिया था। वह सुगंधा से शादी करेगा - अब चाहे कुछ भी हो जाए।

☆ एक दिन उसने सबके सामने एलान कर दिया - मैं सुगंधा से प्रेम करता हूँ। और हा मैं उससे विवाह करूंगा।

☆ गाँव वालों मे खुसर - पुसर होनी शुरु हो गया। मास्टर जी गुस्से मे लाल हो गए। पर सुगंधा ने पहली बार खुल कर बोला - अगर मुझेे कोई अपनाता है, तो वो मुकेश है।

☆ जिसने हर हाल मे मेरा साथ दिया। मैंं उसी के साथ रहना चाहती हूँ।

बदलाव की लाहर

☆ गाँव मे यह पहली बार हुआ था कि किसी लड़की ने अपनी पसंद से जीवनसाथी चुना था।

☆ कई लोगों ने मुकेश का साथ दिया - प्यार करने में शर्म नही होनी चाहिए, अगर वो दोनों एक दूसरे के लिए बने हैं, तो हम कौन हैं रोकने वाले ?

☆ कुछ बड़े बुजुर्गों की बैठक हुई। बातचीत लंबी चली, लेकिन अंत मे यह तय हुआ कि दोनों को शादी की अनुमति दी जाएगी।

☆ एक शर्त पर ; सुगंधा को अपने माता - पिता से आशीर्वाद लेना होगा ।

अंतिम परीक्षा

☆ सुगंधा अपने पिता के पास पहुँची। उन्होंने अब भी मुंह फेर रखा था ।

☆ बाबा, वह बोली, मैंं आपकी ही बेटी हूँ। जो संस्कार आपने दिए, उन्ही से मैंं ये निर्णय ले रही हूँ। मुकेश बुरा नही वह मेहनती हैं, सच्चा है... और सबसे बड़ी बात, वह मुझसे अटूट प्रेम करता है।

☆ मास्टर जी की आंखे नम हो गई। बहुत देर तक चुप रहे । फिर बोले, जाओ, उसे बुलाओ।

☆ मैं देखना चाहता हूंँ  जिसने मेरी बेटी का दिल जीता लिया है।

☆ मुकेश आया और झुका, उनके पैर छूए । मास्टर जी ने कहा, खुश रहो बेटा ।

विवाह और नया जीवन

☆ गाँव के मंदिर मे पीपल के पेड़ के नीचे मुकेश और सुगंधा ने सात फेरे लिए।

☆ पूरा गाँव गवाह बना एक प्रेम कथा का - जो बचपन से शुरू हुई थी, और समाज की तमाम बाधाओ को पार कर पूरी हुई।

☆ अब वे दोनों न सिर्फ एक दूसरे के हमसफ़र थे, बल्कि गाँव के लिए एक नई सोच, एक नई शुरुआत की मिसाल भी बने।

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