प्रेरणादायक हिंदी कहानी संग्रह कथा-कहानी ज्ञानवर्धक किस्से | Hindi Kahani or Story Collection
हिंदी कहानियाँ एक ऐसी विधा जो जीवन को, परिस्थितियों को अपने में लेकर उलझी हुई समझ को, सुलझा देती हैं. हिंदी कहानी हमारे व्यक्तित्व को एक दर्पण की भांति हमारे सामने प्रेषित करती हैं जिनसे हमें अपने कर्मो का बोध होता हैं. माना कि कहानियाँ काल्पनिक होती हैं पर कल्पना परिस्थिती के द्वारा ही निर्मित होती हैं. पाठको को लुभाने एवं बांधे रखने के लिए कई बार भावों की अतिश्योक्ति की जाती हैं लेकिन अंत सदैव व्यवहारिक होता हैं, यथार्थता से परिपूर्ण होता हैं.
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☆ हरी भरी वादियों और कल कल बहती नदी के किनारे बसा गाँव शिंगणापुर अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए तो प्रसिद्ध था ही, पर उसकी असली रौनक थी मोहिनी। मोहिनी, जैसा नाम वैसा ही उसका रूप और स्वभाव ।
☆ चंचल, अल्हड़, खुशमिजाज और शरारती। उसकी हंसी, मानो पूरे गाँव मे शहद घोल देती थी। जब वह अपनी सखियों संग पनघट पर जाती थी, या खेतों मे किलकारियाँ भरती, तो लगता जैसे प्रकृति स्वयं मुस्कुरा उठी हो।
☆ राधा की आंखे सुबह की ओस की बूँदों सी निर्मल और होंठ गुलाब की पंखुड़ियों से भी कोमल थे। लहराते काले केश जब हवा मे उड़ते तो लगता जैसे काली घटाए झूम रही हो। वह गाँव के सबसे बड़े़ और सम्मानित जमींदार, ठाकुर भूपेंद्र सिंह की इकलौती लाड़ली बेटी थी।
☆ एश्वर्य और लाड़ प्यार मे पली - बढ़ी होने के बावजूद उसमें घमंड का लेशमात्र भी नहीं था। वह गरीबों के दुख मे दुखी होती और उनकी मदद के लिए हमेशा तत्पर रहती।
☆ उसकी यही सहजता और सुंदरता उसे पूरे गाँव की लाड़ली बनती थी। गाँव का हर नौजवान मोहिनी पर मोहित था। , उसके दिल मे मोहिनी के लिए एक खास जगह थी, पर मोहिनी थी कि इन सबसेे बेखबर अपनी ही दुनिया मे मगन रहती थी।
☆ इसी गाँव के एक छोर पर, जहाँ अमीरी की चमक फीकी पड़ जाती थी, एक साधारण सा लकड़हारा परिवार रहता था। उसी परिवार का बेटा था मोहित। मोहित अपने नाम के अनुरूप ही मन को मोह लेने वाला, शांत, सुशील , और मेहनती युवक था ।
☆ उसका रंग सावला था । पर नैन नक्श तीखे और आकर्षक थे। चौड़ा सीना और मजबूत भुजाएं उसकी कड़ी मेहनत की गवाही देती थी। वह रोज सुबह कुल्हाड़ी लेकर जंगल की ओर निकल जाता और शाम को लकड़ियों का गट्टर लादे घर लौटता। उसकी दुनिया सीमित थी। जंगल लकड़ियाँ और अपने बुढ़े माँ बाप की सेवा। पर इस सीमित दुनिया में भी एक असीमित सपना पल रहा था, और वह सपना थी मोहिनी।
☆ मोहित छिप – छिप कर मोहिनी को देखता था। जब मोहिनी अपनी सखियों के साथ हँसती खेलती नदी किनारे आती, तो मोहित दूर किसी पेड़ की ओट मे खड़ा होकर उसे निहारता रहता, मोहिनी की एक झलक पाने के लिए वह घंटों इंतजार कर सकता था। उसके लिए मोहिनी चाँद की तरह थी।
☆ खूबसूरत, पवित्र पर पहुँच से बहुत दूर। वह अपनी और मोहिनी की सामाजिक स्थिति के अंतर को भली भांति समझता था। कहाँ जमींदार की बेटी और कहाँ एक गरीब लकड़हारे का बेटा ! यह कल्पना भी उसके लिए दुस्साहस थी। फिर भी दिल था की मानता नही था। मोहिनी की छवि उसके मन मंदिर में किसी देवी की तरह प्रतिष्ठित हो चुकी थी।
☆ मोहिनी भी कभी कभी मोहित को देखती थी। उसकी नज़रों में उसे एक अजीब सी कशिश और मासूमियत दिखती थी वह जानती थी मोहित उसे देखता है, पर उसके देखने से वासना नही, बल्कि एक मौन आराधना होती थी। यह बात मोहिनी को कही गहरे छु जाती थी। पर वह इसे कोई विशेष महत्व नही देती थी।
☆ समय अपनी गति से चलता रहा था। एक दिन गाँव में जोर का मेला लगा, चारों ओर चहल पहल थी। मोहिनी भी अपनी सखियोंं के साथ मेले में घूमने आयी। रंग बिरंगी चूड़ियाँ, मिट्टी के खिलौने, मिठाइयों की खुशबू, सब कुछ मनमोहक था। मोहिनी एक दुकान पर लाख की चूड़ियाँ देख रही थी, तभी अचानक भगदड़ मच गई।
☆ एक पागल सांड भीड़ मे घुस आया था और लोग अपनी – अपनी जान बचाने के लिए इधर उधर भाग रहे थे । मोहिनी की सखियाँ तो किसी तरह बच गई पर मोहिनी घबराहट मे वही खड़ी रह गई। सांड उसकी ओर लपका आ रहा था। मोहिनी ने डर के मारे आंखे मूँद ली।
☆ तभी एक मजबूत हाथ ने उसेे खींचकर एक तरफ किया और पलक झपकते ही वह सांड आगेे निकल गया। जब मोहिनी ने आंखे खोली, तो खुद को मोहित की बाहों में पाया। मोहित हॉफ रहा था, पर उसकी आँखों मे मोहिनी के लिए चिंता साफ झलक रही थी।
☆ मोहिनी कुछ पल के लिए सब कुछ भूल कर मोहित की आँखोंं मे देखती रही। आज पहली बार उसने मोहित को इतने करीब से देखा है, उसके साँवले चेहरे पर पसीने की बूंदे चमक रही थी, और उसकी धड़कन मोहिनी को अपनी छाती पर महसूस हो रही थी।

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