मन चंगा कठौति में गंगा (प्रेम कहानी सुन्दरता चेहरे का नहीं, अपितु दिल का गुण हैं )

Razz hariom
0

प्रेरणादायक हिंदी कहानी संग्रह कथा-कहानी ज्ञानवर्धक किस्से | Hindi Kahani or Story Collection

हिंदी कहानियाँ एक ऐसी विधा जो जीवन को, परिस्थितियों को अपने में लेकर उलझी हुई समझ को, सुलझा देती हैं. हिंदी कहानी हमारे व्यक्तित्व को एक दर्पण की भांति हमारे सामने प्रेषित करती हैं जिनसे हमें अपने कर्मो का बोध होता हैं. माना कि कहानियाँ काल्पनिक होती हैं पर कल्पना परिस्थिती के द्वारा ही निर्मित होती हैं. पाठको को लुभाने एवं बांधे रखने के लिए कई बार भावों की अतिश्योक्ति की जाती हैं लेकिन अंत सदैव व्यवहारिक होता हैं, यथार्थता से परिपूर्ण होता हैं.

══━━━━━━✧❂✧━━━━━━══

Hello Everyone 

 ये blog आपके लिए ही है, ये ब्लॉग Study के उदेश्य से बनाया गया है 
══━━━━━━✧❂✧━━━━━━══

मन चंगा कठौति में गंगा (प्रेम कहानी सुन्दरता चेहरे का नहीं, अपितु दिल का गुण हैं )

मन चंगा कठौति में गंगा (प्रेम कहानी सुन्दरता चेहरे का नहीं, अपितु दिल का गुण हैं )☆ गाँव के कोने में बहती एक छोटी सी नदी के किनारे स्थित था “नयनपुर” नाम का गाँव। यह गाँव भले ही छोटा था, लेकिन लोगों के दिल बहुत बड़े थे। इसी गाँव में रहती थी राधा, जो साधारण रूप-रंग की लड़की थी, पर उसके मन में संजीवनी जैसी सच्चाई और करुणा थी। गाँवभर में वह अपनी सरलता, मददगार स्वभाव और मीठे बोल के लिए जानी जाती थी।

☆ दूसरी ओर, गाँव में ही शहर से पढ़कर लौटा एक युवक था — अर्जुन। शिक्षित, समझदार और थोड़ा-बहुत अहंकारी भी। अर्जुन की सोच थी कि प्रेम पाने के लिए बाहरी सुंदरता जरूरी है। जब उसने पहली बार राधा को देखा, तो बस एक बार मुस्कराया और आगे बढ़ गया। उसे लगा, “इतनी साधारण-सी लड़की से कोई आकर्षण कैसे हो सकता है?” 

☆ लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंज़ूर था। एक दिन भारी बारिश में अर्जुन की गाड़ी कीचड़ में फँस गई। गाँव के लोग छिप गए, पर वही राधा छतरी लेकर दौड़ी और बिना कुछ सोचे-समझे उसकी मदद करने लगी। उसने अपने पैरों को कीचड़ में डुबो दिया, पर अर्जुन की गाड़ी को बाहर निकालने में जुटी रही। अर्जुन हैरान था — इतनी मेहनत, इतना योगदान, और चेहरे पर एक भी शिकन नहीं!

☆ बारिश थमने पर अर्जुन ने पूछा, “तुमने अपने कपड़े गंदे कर लिए, खुद भी भीग गईं… फिर भी मुस्कुरा रही हो?”
राधा ने हँसते हुए जवाब दिया, “जब मन चंगा हो, तो गंदगी बाहर की नहीं, भीतर की होती है। और अगर मन निर्मल हो तो यही कीचड़ भी गंगा जल बन जाता है।”

☆ उस दिन से अर्जुन के विचार बदलने लगे। वह राधा से बातें करने लगा, उसके साथ गाँव के बच्चों को पढ़ाने लगा। धीरे-धीरे उसे समझ में आया कि राधा की असली सुंदरता उसके चेहरे में नहीं, बल्कि उसके दिल की गहराई में है — जहाँ ईमानदारी, दया, और सच्चा प्रेम बसा था।

☆ समय बीता, राधा और अर्जुन की दोस्ती प्रेम में बदल गई। जब अर्जुन ने गाँव के बुज़ुर्गों के सामने विवाह का प्रस्ताव रखा, तो किसी ने कहा — “अर्जुन, तू तो पढ़ा-लिखा, शहर वाला है। राधा तेरी जोड़ी नहीं।”
अर्जुन ने मुस्कराकर उत्तर दिया, “आप सही कहते हैं, पर मेरा मन अब वही देखता है जो आँखों से छुपा हुआ है। और मुझे राधा में वही गंगा मिली है जो कठौति में भी पवित्र रहती है।”

☆ विवाह हुआ। गाँव के लोगों ने राधा और अर्जुन को आशीर्वाद दिया, और उस दिन से नयनपुर का हर व्यक्ति समझ गया कि असली सुंदरता चेहरे की नहीं, बल्कि उस दिल की होती है जो दूसरों के लिए धड़कता है।

एक टिप्पणी भेजें

0टिप्पणियाँ

अगर आपके पास कोई सवाल हो तो आप comment जरूर कीजिए |

एक टिप्पणी भेजें (0)